बस यही हाल आजकल पश्चिमंआँचल का भी है , हम बस इन लखनाऊ वाले जोकरों के इशारों पे हर स्थिति में चल जाते है या फिर यु कहे की आजकल हमें आदत सी पड़ गयी है हर एक जुल्म और ग़लत फ़ैसले को भी आसानी से मान लेनी की,


पर हक़ीक़त अगर देखा जाए तो कुछ और ही है अगर हम सिक्के का दूसरा पहलू देखे आज जबकि पश्चिम जिसे आजकल उत्तम प्रदेश भी लोग कहते है इसकी भागेदारी उत्तर प्रदेश में ठीक वैसे ही है जैसे संसार में पश्चिम यानी अमेरिका की है , संसाधनो का पूर्ण प्रयोग और कड़ी मेहनत इसके महतवपूर्ण अंग है बस ज़रूरत है अपने आप को पहचानने की और उसी ताक़त शक्ति का प्रयोग करके एक सुखी परिवार छोटा राज्य बनवाने की .

असल में है क्या इतना बड़ा प्रदेश है ना तो हम हरियाणा के ही है ना उत्तर प्रदेश के क्यूँकि संस्कार अलग से है और पहचान भी तो फिर समाधान भी तो अलग सा ही होना चाहिए!
इस बेचारी लड़की की तरह हमारा क्षेत्र भी बेचारा हो गया है या तो इसे इशारों पे नाचना पड़ेगा नहि तो भूखों मारना पड़ेगा या फिर तीसरा तरीक़ा है अपने अधिकारो की माँग करते हुए छोटे राज्य की माँग का पूर्णतह समर्थन करना,
“बस यही विकल्प है अब ..
छोटे प्रदेश में हो हम सब..

Post a Comment

Previous Post Next Post