बडोत का तो फिर भी ठीक है बागपत का क्या
आज बागपत को ज़िला बने १० साल से ऊपर हो गये है ये बात तो शायद सबकोभी पता है पर आजतक ना तो शामली वालों को और ना ही बडोत वालों को और यहाँ तक की बागपत वालों को भी पता नहि है की रोडवेज़ बस स्टैंड कहाँ है इनका

बागपत डिपो की शायद ही एक आध बस होगी जो मैंने तो कभी सड़क पे दौड़ती हुई देखी नहि,शायद ये बस दूसरे डिपो के वर्क्शाप में तो नहि खड़ी रहती!

बागपत के लोग एक और जहाँ काफ़ी जुझारू होते है और अपने हक़ के लिए किसी से भी लड़ जाते है ,ऐसी बात भी नहि की यहाँ विकास नहि हुआ इसको नकार नहि सकते गौरिपूर का भयानक गढ्ढा अब नहि रहा पर क्या इसको धीमे गति का विकास या फिर यु कह लीजिए चींटी की गति का विकास कहते है


बागपत में अगर देखा जायँ तो रोड्वेज़ बसो की हालत निजी बसो से भी दयनीय है क्यूँकि इनके पास ख़ुद का तो डिपो है नहि और बसे भी इधर उधर ही रोड पर खड़ी कर देते है और लोगों की भीड़ भी इतनी होती है की बस हाय तोबा मची रहती है,ऐसा हाल शायद एक समर्ध प्रदेश में तो नहि होता, और अगर हमारा क्षेत्र कृषि प्रधान है और ज़्यादा इधर उधर घूमने भी नहि जाते पर इसका मतलब ये तो नहि की परेशानी बताके आती है,

अपना अलग सा प्रदेश चुनिए जिसमें कम से कम ज़रूरी सुविधाएँ तो हो, जिसमें कोई भी आदमी किसी भी वक्त कोई भी सड़क पर कभी भी जा सके और उसको और आपको कभी दिक्कत ना हो , तब हमें लगना चाहिए कि हमारे वोट का सहि उपयोग हुआ है

Post a Comment

Previous Post Next Post